food and economic crisis in pak

पाक में 20 किलो आटे की थैली की कीमत आखिर 3300 रुपये कैसे हो गई?

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पूरी दुनिया हैरान है कि आखिर पाकिस्तान में चल क्या रहा है. Photo social media

Pakistan Food crisis : कंगाली और राजनीतिक अव्यवस्था को झेल रही (Pakistan government) पाकिस्तान सरकार जहां जनता को खाने-पीने की चीजें मुहैया करा पाने में विफल हो रही है वहीं विदेश में अपनी सम्पत्ति को बेचकर कर्मचारियों को वेतन के पैसे जुटाने को मजबूर है। हालात ऐसे हैं कि देश की एसेंबली में सत्ता पक्ष और विपक्ष एक-दूसरे पर इसका आरोप मढ रहा है। दिलचस्प यह है कि सत्ता पक्ष की ओर से इसके लिए राज्यों की सरकारों को जिम्मेदार ठहराया गया है, सरकार का कहना है कि देश में गेहूं का पर्याप्त भंडार है। सरकार ने आरोप लगाया कि पीपीपी के शासन वाले खैबर पख्तूनख्वा और पंजाब की ओर से यह संकट पैदा किया गया है। पाकिस्तान से मिल रही रिपोर्ट बताती हैं कि मौसम संबंधी प्राकृतिक आपदा और दूसरे देशों से आपूर्ति में आ रही बाधा की वजह से देश में लाखों लोगों के सामने भुखमरी का संकट कायम है। 

 

क्यों बढ़ रही चीजों की कीमत
पिछले दिनों देश की नेशनल एसेंबली में सीनेटर मुश्ताक अहमद ने आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा था कि देश में 20 किलो की आटे की थैली की कीमत 3300 पाकिस्तानी रुपये है, जबकि जिंदा चिकन की प्रति किलोग्राम कीमत 390 पाकिस्तानी रुपये है। हालात ऐसे हैं आटा पाने के लिए लोगों में होड़ मचती है और एक-दूसरे से आगे निकलने की भागदौड़ में गिर कर चोटिल हो रहे हैं। पाकिस्तान के अंग्रेजी दैनिक डॉन (Pakistan english daily The Dawn) की रिपोर्ट के अनुसार, बैंकों द्वारा प्रासंगिक दस्तावेजों के अनुमोदन में देरी के कारण बंदरगाह पर खाद्यान्न की आयातित खेपों की निकासी न होने के कारण कीमतों में इजाफा हो रहा है।

 

बंदरगाहों पर पिछले दो महीनों से नहीं उठे कंटेनर
कराची होलसेलर्स ग्रॉसर्स एसोसिएशन (केडब्ल्यूजीए) के अध्यक्ष रउफ इब्राहिम के हवाले से सामने आया है कि व्यापारियों ने डॉलर की कमी और बैंकों के कारण पिछले दो महीनों से बंदरगाह पर दालों के 6,000 से अधिक कंटेनरों की निकासी नहीं हुई है। इसके खिलाफ व्यापारियों ने पाकिस्तान स्टेट बैंक के मुख्य कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया था। गौरतलब है कि पाकिस्तान सालाना करीब 15 लाख टन दालों को आयात करता है। 

 

वेतन देने को नहीं पैसे
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान में हालात ऐसे हैं कि वॉशिंगटन में पाक दूतावास के पास अपने कुछ कर्मचारियों को बीते चार महीने से वेतन का भुगतान करने के लिए पैसा नहीं है। इन कर्मचारियों को अगस्त 2021 से पाकिस्तानी दूतावास में अनुबंध पर रखा गया है। बताया गया है कि इन कर्मचारियों को उनके मासिक वेतन का भुगतान नहीं हो रहा है। इनमें से कई ने भुगतान नहीं होने पर नौकरी छोड़ना ही सही समझा।

 

विदेश में बेचनी पड़ रही संपत्ति
पाकिस्तान (Pakistan selling embassy in us) के ऐसे दिन आ गए हैं कि उसे कंगाली से निकलने के लिए विदेश में अपनी संपत्ति को बेचना पड़ रहा है। अमेरिका में पाकिस्तान अपने दूतावास की इमारत बेच रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने हाल ही में अमेरिका में पाक दूतावास की इमारत को बेचने की मंजूरी दी है। अब इस इमारत को खरीदने के लिए बोली लगनी शुरू हो गई है। ऐसी रिपोर्ट है कि इमारत के लिए अब तक तीन बोलियां आईं हैं। इनमें सबसे ऊंची बोली एक यहूदी समूह ने लगाई है, वहीं दूसरी सबसे ऊंची बोली एक भारतीय रिएल्टर की ओर से लगाई गई है। यह इमारत अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन के पॉश इलाके में स्थित है और इसकी कीमत करीब 60 लाख अमेरिकी डॉलर बताई गई है।

 

कभी पाक दूतावास का रक्षा विभाग था इमारत में
पाकिस्तानी अखबार डॉन के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि इस इमारत में कभी पाकिस्तान के दूतावास का रक्षा विभाग स्थित था। एक पाकिस्तानी राजनयिक ने बताया है कि लगभग 68 लाख अमरीकी डालर (56.33 करोड़ रुपये) की उच्चतम बोली जिस यहूदी समूह ने लगाई है, वह इस इमारत में एक सिनेगॉग यानी प्रार्थना स्थल बनाने की चाह रखता है। सूत्रों के अनुसार, एक भारतीय रियल एस्टेट एजेंट ने भी लगभग 50 लाख अमरीकी डॉलर (41.38 करोड़ रुपये) की दूसरी बोली लगाई है। 

 

भारतीय को नहीं अमेरिकी को बेचने के ज्यादा इच्छुक
दिलचस्प यह है कि पाकिस्तान भारतीय रियल एस्टेट एजेंट को इमारत बेचने के हक में नहीं है। कहा जा रहा है कि पाक इमारत को अमेरिकी यहूदी समूह को ही बेचना चाहता है। इसके पीछे तर्क यह दिया जा रहा है कि अगर इमारत अमेरिकी यहूदी समूह को बेची गई तो इससे समुदाय में काफी सद्भावना पैदा होगी, जो इसे पूजा स्थल के रूप में इस्तेमाल करना चाहते हैं। इस महीने की शुरुआत में पाकिस्तानी दूतावास के अधिकारियों की ओर से सामने आया था कि वॉशिंगटन में इस्लामाबाद की तीन राजनयिक संपत्तियां हैं, जिनमें से एक आर स्ट्रीट एनडब्ल्यू पर मौजूद इमारत है, जिसे बेचा जा रहा है।

 

पाकिस्तान की देनदारी लगातार बढ़ रही 
द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान पर कुल कर्ज और देनदारी 59.7 ट्रिलियन रुपया (पाकिस्तानी रुपया) है। यह पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 11.9 ट्रिलियन रुपया यानी 25 प्रतिशत ज्यादा है। स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के अनुसार पिछले वित्तीय वर्ष में सार्वजनिक ऋ ण 9.3 ट्रिलियन रुपया था, जो जून 2022 के अंत तक बढक़र 49.2 ट्रिलियन रुपया हो गया। सार्वजनिक ऋण में वृद्धि के लिए प्रत्यक्ष रूप से सरकार को जिम्मेदार माना जाता है।

 

पाकिस्तान में कार निर्माता कर रहे प्लांट बंद 
पाकिस्तान में (car manufacturing plant shutdown in Pakistan) कई दिग्गज वाहन निर्माता कंपनियां काम बंद कर चुकी हैं। जापान की वाहन निर्माता कंपनी टोयोटा के बाद अब पाकिस्तान सुजुकी मोटर्स ने भी 2 जनवरी से 6 जनवरी तक वाहनों का उत्पादन बंद रखा। ऐसा ऑटो पार्ट्स और कंप्लीटली नॉक्ड डाउन किट के आयात की सशर्त अनुमति के चलते किया गया। कंपनी की ओर से कहा गया है कि स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के प्रतिबंध के कारण उसकी आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित हो रही है। 

 

डॉलर का भी संकट, कैसे करे भुगतान
प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ सरकार के सत्ता में आने के बाद पाकिस्तान के वित्त मंत्री इसहाक डार ने कहा था कि डॉलर के मूल्य को नियंत्रित रखा जाएगा। लेकिन अब पाक में डॉलर की कीमतें ही हाथ से निकल चुकी हैं। डॉलर अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा है और इसकी तंगी होने के मतलब है कि कोई देश विदेश से आने वाले सामान का मूल्य डॉलर में नहीं कर पाएगा। पाकिस्तान में डॉलर की सरकारी दर 225 से 226 रुपये तक पहुंच चुकी है और जब आयात करने वाले डॉलर के लिए बैंकों से संपर्क करते हैं तो उन्हें डॉलर मुहैया नहीं कराए जाते। हालात ऐसे हैं कि ग्रे मार्केट में एक डॉलर का पाकिस्तानी करेंसी में 240 रुपये से ऊपर जा चुका है।


कहीं से नहीं मिल रही मदद, भारत से चाहता नहीं
विशेषज्ञ मानते हैं कि पाकिस्तान में जारी संकट की अनेक वजह हैं, इनमें जहां राजनीतिक कुव्यवस्था प्रमुख है, वहीं अपने समृद्ध पड़ोसी देश भारत से उसका दुश्मनी रखना भी है। आतंकवादियों का पनाहगार बना पाकिस्तान खुशहाली के बारे में सोचने की बजाय रंजिश और बगैर मेहनत किए बराबरी करना चाहता है। पाकिस्तान को इस वित्तीय वर्ष में 30 अरब डॉलर से अधिक का विदेशी भुगतान भी करना है। देश में डॉलर लाने वाले तीन महत्वपूर्ण स्रोत, निर्यात, विदेश से भेजी गयी विदेशी मुद्रा और विदेशी पूंजी निवेश पिछले कुछ महीनों में नकारात्मक वृद्धि दर्ज कर रहे हैं, यानी न देश में विदेशी पूंजी निवेश हो रहा है, न ही उसे विदेश से मदद मिल रही है और न ही देश के अंदर नए संसाधन विकसित हो रहे हैं।